संयुक्त राष्ट्र महासभा में #Islamophobia विरोधी दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित हुआ


भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को 'इंटरनेशन डे टू कॉम्बैट इस्लामोफ़ोबिया' यानी इस्लामोफ़ोबिया #Islamophobia विरोधी दिवस मनाने के लिए पाकिस्तान की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव के पारित होने पर चिंता जताई है.

भारत ने कहा है कि एक धर्म विशेष को लेकर डर उस स्तर पर पहुंच गया है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की स्थिति आ गई है. भारत ने कहा है कि धर्मों को लेकर अलग-अलग तरह से डर का मौहाल बनाया जा रहा है, ख़ासकर हिंदुओं, बौद्ध और सिख धर्म के ख़िलाफ.

193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ये प्रस्ताव रखा था कि 15 मार्च को 'इंटरनेशन डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' यानी 'इस्लाम के प्रति डर के ख़िलाफ़ लड़ाई का अंतरराष्ट्रीय दिवस' के तौर पर मनाया जाए.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन के इस प्रस्ताव को अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, इराक़, जॉर्डन, कज़ाख़स्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, पाकिस्तान, क़तर, सऊदी अरब, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज़्बेकिस्तान और यमन का समर्थन हासिल था.

इस प्रस्ताव के पारित होने पर प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि ये प्रस्ताव नज़ीर नहीं बनेगा. इस प्रस्ताव के बाद अन्य धर्मों के प्रति डर को लेकर कई प्रस्ताव आ सकते हैं और संयुक्त राष्ट्र धार्मिक शिविरों में बदल सकता है.

भारत का पक्ष:

उन्होंने कहा, "1.2 अरब लोग हिंदू धर्म को मानते हैं. बौद्ध धर्म को मानने वाले 53.5 करोड़ लोग हैं और तीन करोड़ से ज़्यादा सिख दुनिया भर में फैले हुए हैं. ये समय है कि हम एक धर्म के बजाय सभी धर्मों के प्रति फैल रहे डर के माहौल को समझें."

"संयुक्त राष्ट्र का ऐसे धार्मिक मामलों से ऊपर रहना ज़रूरी है जो दुनिया को एक परिवार की तरह देखने और हमें शांति और सौहार्द के मंच पर साथ लाने के बजाय हमें बांट सकती है."

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म के ख़िलाफ़ की जा रही किसी भी गतिविधि की निंदा करता है. लेकिन डर का माहौल केवल इन्हीं धर्मों को लेकर नहीं फैलाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, "वास्तव में इस बात के सबूत हैं कि धर्मों के प्रति इस तरह से डर के माहौल ने यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों के अलावा अन्य धर्मावलंबियों को भी प्रभावित किया है. इससे धर्मों के प्रति, ख़ासकर हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के प्रति डर का माहौल बढ़ा है."

उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को ये नहीं भूलना चाहिए कि 2019 में 22 अगस्त को पहले ही धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा में मारे गए लोगों की याद में मनाया जाता है. ये दिवस पूरी तरह से सभी पहलुओं को समेटे हुए है.

टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, "यहां तक कि 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाया जाता है. हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि हमें किसी एक धर्म विशेष के प्रति डर के ख़िलाफ़ एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की ज़रूरत है."

उन्होंने ये बात जोर देकर कही कि धर्मों के प्रति इस तरह के डर की वजह से कई देशों में गुरुद्वारों, बौद्ध मठों और मंदिरों जैसी धार्मिक जगहों पर हमले की घटनाएं और यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के अलावा अन्य धर्मों को लेकर भ्रामक सूचनाएं और घृणा बढ़ी है.

उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के बामियान में बौद्ध प्रतिमा के विध्वंस, गुरुद्वारे का अपमान, सिख धर्मावलंबियों के नरसंहार, मंदिरों पर हमले, मंदिरों में प्रतिमा तोड़े जाने जैसी घटनाओं को वाजिब ठहराने की कोशिश, जैसी कई घटनाओं का उदाहरण भी दिया.

टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से ग़ैर यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्मों के लोगों प्रति डर का माहौल आज कल बढ़ा है.

महासभा में प्रस्ताव के पारित होने के बाद तिरुमूर्ति ने एक बयान जारी कर कहा, "इसी संदर्भ में हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बाक़ी धर्मों को छोड़कर किसी एक धर्म को लेकर डर के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है. किसी धर्म का उत्सव मनाना एक बात है लेकिन किसी धर्म के प्रति घृणा के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए एक दिन मनाना बिलकुल दूसरी बात है. इस प्रस्ताव से अन्य धर्मों के ख़िलाफ़ डर की गंभीरता को कमतर आंका गया है."

उन्होंने कहा कि भारत को इस बात का गर्व है कि विविधता उसके अस्तित्व की बुनियाद है.

"हम सभी धर्मों को समान रूप से संरक्षित किए और बढ़ावा दिए जाने पर यकीन रखते हैं. इसलिए ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि 'विविधता' जैसे शब्द का इस प्रस्ताव में जिक्र तक नहीं किया गया है और इस प्रस्ताव को लाने वाले देशों ने हमारे संशोधन प्रस्ताव के जरिए इस शब्द को शामिल करना ज़रूरी नहीं समझा जिसकी वजह वे लोग ही समझते होंगे."

तिरुमूर्ति ने कहा कि एक विविधतापूर्ण और लोकतांत्रिक देश होने की वजह से भारत सदियों से कई धर्मों का घर रहा है. भारत ने दुनिया भर में धर्म के नाम पर दमन का शिकार होने वाले लोगों को पनाह दी है.

उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों को भारत में सुरक्षित पनाह मिली है. वे चाहे पारसी हों या बौद्ध या यहूदी हों या फिर किसी और धर्म को मानने वाले लोग."

उन्होंने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा, असहिष्णुता और भेदभाव की घटनाओं के बढ़ने पर गहरी चिंता जाहिर की.

फ्रांस का बयान:

संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थाई प्रतिनिधि निकोलस डे रिविरे ने तिरुमूर्ति के बाद महासभा में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव सभी तरह के भेदभाव के ख़िलाफ़ हमारी साझा लड़ाई से जुड़ी चिंताओं का जवाब नहीं देता है.

उन्होंने कहा, "धर्म को मानने या न मानने की आज़ादी का जिक्र किए बिना अन्य धर्मों को छोड़कर एक धर्म को तरजीह देकर ये प्रस्ताव धार्मिक असहिष्णुता के ख़िलाफ चल रही लड़ाई को बांटता है."

निकोलस डे रिविरे ने कहा कि समाज में हर तरह के लोग हैं. इनमें बहुत से लोग अलग-अलग धर्मों को मानते हैं या फिर वे किसी को भी नहीं मानते हैं.

#TheKashmirFiles पत्नी को खिलाए पति के खून से सने चावल, देखिए कश्मीरी हिंदुओं की दर्दनाक दास्तां


कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर बेस्ड फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) इन दिनों चर्चा में है। थिएटर्स से फिल्म देखकर बाहर निकलने वाले लोग अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। ऐसे कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि बॉलीवुड में पहली बार किसी डायरेक्टर ने इतनी हिम्मत दिखाते हुए 32 साल पहले कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुई बर्बरता की सच्चाई दिखाने की कोशिश की है। वहीं, दो साल पहले नवंबर, 2019 में पॉलिटिकल कमेंटेटर सुनंदा वशिष्ठ ने कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ 1990 में हुई दर्दनाक दास्तां को बयां किया था। 

मानवाधिकारों पर अमेरिकी कांग्रेस में हुई बैठक में सुनंदा वशिष्ठ ने एक ऐसी घटना को याद किया जिसे सुनकर सब शॉक्ड रह गए। उन्होंने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ आतंकवादियों की हैवानियत को बताया था। 

सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, कश्मीर में उनका और उनके लोगों की पूरी जिंदगी कट्टरपंथी इस्लाम की वजह से बर्बाद हो गई। इतना ही नहीं, उन्होंने टीचर गिरिजा टिक्कू और बीके गंजू जैसे लोगों के साथ हुई अमानवीय घटनाओं का भी जिक्र किया।

सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, आतंकियों ने बांदीपोरा की टीचर गिरिजा टिक्कू को पहले किडनैप किया और फिर उन्हें बर्बरता के साथ काट डाला। गिरिजा टिक्कू को मारने से पहले उनके साथ गैंगरेप भी किया गया। उनके साथ ऐसा करने वालों में वो लोग शामिल थे, जिन्हें गिरिजा टिक्कू ने पढ़ाया था। 

सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) बीके गंजू जैसे लोगों को पड़ोसियों पर विश्वास करने के बदले सिर्फ और सिर्फ धोखा मिला। बीके गंजू को आतंकवादियों ने कंटेनर में ही गोली मार दी थी। इसके बाद उनकी पत्नी को खून से सने चावल खिलाए थे। बीके गंजू के बारे में आतंकियों को पूरी जानकारी उनके पड़ोसियों ने दी थी। 

वैसे, कश्मीर घाटी (Kashmir Ghati) में हिंदुओं की हत्‍या का सिलसिला 1989 से ही शुरू हो चुका था। सबसे पहले पंडित टीका लाल टपलू की हत्‍या की गई। श्रीनगर में सरेआम टपलू को गोलियों से भून दिया गया। वह कश्‍मीरी पंडितों के बड़े नेता थे। आरोप जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के आतंकियों पर लगा लेकिन कभी किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं हुआ। 

इसके डेढ़ महीने बाद रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई। गंजू ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के नेता मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी। गंजू की पत्नी को किडनैप कर लिया गया और उसके बाद वो कभी नहीं मिलीं।

4 जनवरी 1990 को श्रीनगर से छपने वाले एक उर्दू अखबार में हिजबुल मुजाहिदीन का एक बयान छपा। इसमें हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिए कहा गया था। इस वक्‍त तक घाटी का माहौल बेहद खराब हो चुका था। हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की भरमार थी। उन्‍हें खुलेआम कश्मीर छोड़ने या फिर इस्लाम कबूल करने की धमकियां दी जा रही थीं। 

इसके बाद वकील प्रेमनाथ भट को मार दिया गया। 13 फरवरी 1990 को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की हत्या कर दी गई। ये तो वो लोग हैं, जो रसूख वाले थे। साधारण लोगों की हत्या की तो गिनती भी नहीं की जा सकती। एक तरफ कश्मीर घाटी में दहशत का माहौल था तो दूसरी तरफ फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में 70 अपराधी जेल से रिहा किए थे।

इसके बाद तो कश्मीरी हिंदुओं के मकानों व धर्मस्थलों पर हमले शुरू हो गए। कश्मीरी हिंदू नेताओं, बुद्धिजीवियों और यहां तक की महिलाओं को भी निशाना बनाया जाने लगा था। एक सर्वे के मुताबिक, कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरु होने से पहले वहां 1242 शहरों, कस्बों और गांवों में करीब तीन लाख कश्मीरी पंडित परिवार रहते थे। लेकिन कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार और पलायन के बाद 242 जगहों पर सिर्फ 808 परिवार रह गए हैं। 

#TheKashmirFiles : 17 सालों में कश्मीरी पंडित सिर्फ 399 जबकि मुस्लिम 15 हजार मारे गए : कांग्रेस


बॉलिवुड फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' (Kashmir Files) के बहाने एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का मामला चर्चा में है। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस छिड़ी है। इसी बीच केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों के जम्मू-कश्मीर से पलायन को लेकर कई ट्वीट किए हैं। कांग्रेस में कश्मीरी पंडित मुद्दे को लेकर कुछ फैक्ट रखे हैं और इसके जरिए उसने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। हालांकि, सोशल मीडिया पर कांग्रेस का यह दांव तब उल्टा पड़ गया, जब टि्वटर यूजर्स ने कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे फैक्ट्स पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए।

दरअसल रविवार को केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों को लेकर सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए थे। कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, 'वे आतंकवादी थे जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया। साल 1990 से लेकर 2007 के बीच के 17 सालों में आतंकवादी हमलों में 399 पंडितों की हत्या की गई। इसी समयांतराल में आतंकवादियों ने 15 हजार मुसलमानों की हत्या कर दी। कांग्रेस ने आगे लिखा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के निर्देश पर हुआ था, जो कि आरएसएस के आदमी थे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पलायन बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार के समय में शुरू हुआ था। बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। पंडितों का पलायन उसके ठीक एक महीने बाद से शुरू हो गया। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी ने इस पर कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह सरकार को अपना समर्थन देती रही। कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए 5242 आवास बनवाए। इसके अलावा पंडितों के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी, इसमें पंडितों के परिवार के छात्रों को स्कॉलरशिप और किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल थीं।

कांग्रेस के ट्वीट पर जवाब देते हुए कई ट्विटर यूजर्स ने उससे तीखे सवाल भी किए। @पल्लवीसीटी नाम के यूजर ने लिखा, 'आप ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे कश्मीर 1990 के पहले जन्नत था। क्या आप इससे इंकार कर सकते हैं कि गवर्नर जगमोहन साल 1988 की शुरुआत से ही राजीव गांधी की सरकार को कश्मीर में आतंकवादियों के जुटने की चेतावनी दे देने लगे थे। विजय ने बताया कि जगमोहन ने केंद्र सरकार को लिखा था, 'आपके और आपके आसपास के लोगों के पास इन संकेतों को देखने के लिए ना तो समय था, न दिलचस्पी और न ही दृष्टि।

उन्होंने आगे लिखा है कि जगमोहन इतने ज्यादा स्पष्ट थे कि उनके उनकी उपेक्षा करना ऐतिहासिक दृष्टि से अपराध जैसा था। सुमित भसीन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ यासीन मलिक की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि वह (कांग्रेस) इस पर कोई स्पष्टीकरण दें। कुमार 4018 नाम के एक यूजर ने लिखा कि इस तरह की चीजें एक दिन में नहीं होतीं। राजीव गांधी दिसंबर 1989 के मध्य तक प्रधानमंत्री थे। कश्मीर दंगे 1986 में शुरू हुए थे। तब राजीव गांधी की सरकार थी।

पंजाब में 5 खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल


राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से हथियारों, विस्फोटकों और मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित मामले में इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) के प्रमुख समेत पांच खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में शुक्रवार को आरोपपत्र दायर किया।

एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि आईएसवाईएफ के प्रमुख लखबीर सिंह रोडे उर्फ बाबा (पंजाब के मोगा निवासी) के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया जो पाकिस्तान में छिपा है।

उसके चार गिरफ्तार हो चुके साथियों-हरमेश सिंह उर्फ काली (फिरोजपुर के किलचे गांव निवासी), दरवेश सिंह उर्फ शिंदा (भैंके वाले झुग्गे निवासी), गुरमुख सिंह (जालंधर के न्यू हरदयाल नगर निवासी) और फगवाड़ा-कपूरथला के गुरू नानकपुरा निवासी गगनदीप सिंह के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया।

एनआईए ने कहा कि शुरू में फिरोजपुर के ममदोट थाने में 25 अगस्त, 2021 को मामला दर्ज किया गया था और बाद में छह नवंबर, 2021 को एजेंसी ने पुन: मामला दर्ज किया।

एनआईए ने कहा कि रोडे और उसके साथियों ने पाकिस्तान से ड्रोन से हथियार आदि की अवैध खेप भेजी थी।

कनाडा में मंदिरों पर हमले और चोरी की घटनाओं में 3 गिरफ्तार


कनाडा में मंदिरों पर हमले और चोरी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वहीं एक की तलाश जारी है। इन दिनों कनाडा में धार्मिक स्थलों में लूट और हिंसा की घटनाएं बढ़ गई थीं। मुख्यतः मंदिरों में हमले हो रहे थे। ऐसे में हिंदू समुदाय आक्रोशित था। कनाडा की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। 

एक बयान में बताया गया, 'नवंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच कई मंदिरों में लूट की घटना हुई है। मंदिरों मे दान पात्र से धन की चोरी कई बार हो चुकी है। कई जगहों पर चोर पूरा दानपात्र लेकर ही फरार हो गए।' इंडो-कनाडियन शख्स को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।

पील पुलिस ने बताया कि वहां ऐसी 13 घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें से 9 घटनाएं हिंदू मंदिरों मे हुईं। इसके अलावा जैन मंदिर और गुरुद्वारे में भी कुछ घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया, 'चौथे आरोपी की भी पहचान हो गई है लेकिन अभी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। उसे भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।  ये अपराध घृणा की वजह से किए गए हैं।' पुलिस ने कहा कि जांच प्रक्रिया सभी ऐंगल को ध्यान में रखते हुए चल रही है। 

पुलिस अधिकारी 16 फरवरी को भी धर्मगुरुओं से मिले थे। इसके अलावा ब्राम्प्टन के मेयर भी बैठक में मौजूद थे। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि ऐसी करीब 18 घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि मंदिरों की सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।

हिन्दू धर्म में वापिसी कर चुके वसीम रिजवी की रिहाई को संत करेंगे अनशन


शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी से जीतेंद्र नारयण सिंह त्यागी की रिहाई की मांग को लेकर संतों का जत्था दिल्ली के राजघाट जा रहा है। शुक्रवार को सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर में प्रवास के दौरान यह बात पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कही। कहा इस्लाम के बारे में किताब में टिप्पणी को लेकर हिंदू धर्म में वापसी करने वाले वसीम रिजवी को जेल भेज दिया गया है।

जबकि जामा मस्जिद के इमाम सहित, धर्म विशेष के कई व्यक्तियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप और आतंकी गतिविधियों में संलग्न रहने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती। बतातें चलें कि हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी का नाम जीतेंद्र नारयण सिंह त्यागी का नाम रखा गया है। कहा कि 2029 तक भारत इस्लामिक देश हो जाएगा। हिंदुओं को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। कहा भारत तभी तक धर्म निरपेक्ष और लोकतांत्रिक है जब तक हिंदू बाहुल्य है।

उन्होंने गांधी और नेहरू की नीतियों की आलोचना की। कहा पांच दिन बाद संतों का जत्था दिल्ली राजघाट पहुंचेगा। वहां पर जीतेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहायी की मांग को लेकर आमरण अनशन किया जाएगा। प्रेसवार्ता में महंत नीलिमानंद, प्रज्ञाचक्षु, दिव्यांग संत ज्ञाननाथ, कृष्णानंद आदि संत मौजूद रहे। 

मेरठ में संप्रदाय विशेष के लोगों ने भाजपा व हिंदू संगठन के नेताओं को पीटा

कंकरखेड़ा में कैलाशी अस्पताल के पास डबल स्टोरी के सामने खाली मैदान में संप्रदाय विशेष के द्वारा शव दफनाने को लेकर गुरुवार रात को सांप्रदायिक बवाल हो गया। निजी जमीन पर शव दफनाने का विरोध करने पहुंचे भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा, नबाव सिंह लखवाया और हिंदू जागरण मंच के सचिन सिरोही व संजय को भीड़ ने घेर लिया और गिराकर डंडों से पीटा।

यह सारा नजारा पुलिस की मौजूदगी में हुआ। पुलिस ने ही दुष्यंत व नबाव को भीड़ से छुड़ाया, जबकि सचिन व संजय मौका पाकर भाग गए। एसपी सिटी, एसीएम और सीओ ने मौका मुआयना किया। पुलिस की ओर से पांच नामजद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। जबकि दूसरा मुकदमा नबाव सिंह की तहरीर पर अज्ञात के खिहलाफ दर्ज किया है। कंकरखेड़ा में सरधना रोड स्थित लक्ष्य हास्पिटल के स्वामी डा. सागर तोमर ने कंकरखेड़ा हाईवे पर डबल स्टोरी के पास चार दिन पूर्व 1190 मीटर जमीन खरीदी थी। जमीन का बैनामा एमडीए ने डा. सचिन के नाम किया था। डा. सागर की मां अनुराध तोमर पत्नी डा. सुधीर तोमर ने बताया कि गुरुवार शाम को कुछ लोगों ने उन्हें जानकारी दी कि उनके प्लाट में नंगलाताशी निवासी संप्रदाय विशेष के एक व्यक्ति की बेटी के शव को दफनाने के लिए गड्ढा खोद रहे हैं। मौके पर जाकर देखा तो सूचना सही पाई गई।

उसके बाद एमडीए और कंकरखेड़ा थाना पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और प्रकरण जाना। मगर, संप्रदाय विशेष के लोगों ने सारी जमीन को कब्रिस्तान की होना बताया। प्लाट कहां से कहां तक है, यह मौके पर पता नहीं हो पा रहा था। खोदे गए गड्ढे में पुलिस के सामने शव दफना दिया गया। पुलिस के मुताबिक अनुराधा तोमर की सूचना पर करीब आधे घंटे बाद भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा, हिंदू जागरण मंच के सचिन सिरोही व ब्रह्मपुरी निवासी संजय ने मौके पर पहुंचकर शव दफनाने का विरोध किया। संप्रदाय विशेष के लोगों ने नारेबाजी करते हुए तीनों को घेर लिया। वहीं थोड़ी दूर खड़े भाजपा नेता नबाव सिंह लखवाया को भी भीड़ ने घेरकर बुरी तरह पीटा। इस बीच सचिन व संजय मौका पाकर भाग गए, जबकि दुष्यंत व नबाव सिंह गिर गए, जिस वजह से भीड़ ने लाठी डंडों से जानलेवा हमला किया। मौजूद दो पुलिसकर्मी ने किसी तरह बचाया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में दुष्यंत रोहटा को पकड़ लिया, जबकि गंभीर रूप से घायल नबाव सिंह को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

निजी जमीन में शव दफनाने के विरोध में भाजपा व हिंदू संगठन के नेता ने धार्मिक उन्माद फैलाया था। वर्तमान में जमीन कब्रिस्तान की प्रतीत होती है। पुलिस की ओर से दुष्यंत रोहटा, सचिन सिरोही, संजय, अनुराधा तोमर, डा. सागर तोमर के खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है।

- विनीत भटनागर, एसपी सिटी।

भीलवाड़ा राजस्थान में कांग्रेस की सरकार टीचर ने बांटी हिन्दू विरोधी किताबे


राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हिन्दू धर्म के विरुद्ध पुस्तक बाँटें जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक का नाम “हिन्दुइज़्म, धर्म या कलंक” है। यह किताब एल आर बाली द्वारा लिखी गई है। इसे बाँटने का आरोप स्कूल की टीचर निर्मला कामड़ पर लगा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने इस पर संज्ञान लेते हुए जाँच बिठा दी है।


जानकारी के मुताबिक मामला भीलवाड़ा के आसींद थाना क्षेत्र का है। यहाँ के गाँव रूपपुरा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की शिक्षिका निर्मला कावड़ को निलंबित करने की माँग को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी ‘हिन्दू धर्म विरोधी टीचर निर्मला कामड़ को गिरफ्तार करो’ हैशटैग से ट्रेंड चलाया जा रहा है। धरने पर कई पुरुषों के साथ महिलाएं भी बैठी दिखाई दे रही हैं। मौके पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल तैनात है।


एक अन्य वीडियो में उसी स्कूल के बताए जा रहे एक छात्र का कहना है, “वो किताबें बाँटती थी। वो कहती थीं कि ये किताब लो, जो दिमाग में होगा वो निकल जाएगा। वो क्लास में दूसरे धर्म का प्रचार करती थीं। वो हमें कहती थीं कि ब्रह्मा जी देवता नहीं हैं। ब्रह्मा ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार किया है। और राम जी दशरथ की औलाद नहीं हैं।” इसे नागपुर के समता पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित किया गया है।

विवादित किताब को हरे रंग में प्रिंट किया गया है। इसके तीनों भाग एक साथ ही हैं। इसमें सबसे ऊपर जवाहर लाल नेहरू के शब्द बता कर लिखा गया है, “हिन्दू धर्म निश्चित तौर पर उदार व सहनशील नहीं है। हिन्दू से ज्यादा संकीर्ण व्यक्ति दुनिया में कहीं नहीं है।”



ट्विटर हैंडल जीतमल गुर्जर ‘जीतू’ ने इस किताब के कुछ पन्नों के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। इन पन्नों में लिखा है कि विष्णु और कुत्ते में कोई फर्क नहीं। साथ ही उपनिषदों के मंत्रों को भी एन एन राय द्वारा उनके शब्दों में बताया गया है। साथ ही ब्रह्मा और विश्वामित्र के नामों के साथ आपत्तिजनक बातें कही गईं हैं। हिन्दू देवताओं के लिए ‘नायक नहीं खलनायक’ जैसे शब्द लिखे गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल मुकेश कुमार को किताबें बाँटे जाने की शिकायत मिली है। लेकिन ये किताबें किसने बाँटी ये उन्हें अब तक नहीं पता। स्थानीय मनरूप गुर्जर ने आरोपित को सस्पेंड करने की माँग की है। वहीं शिक्षिका निर्मला कामड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि वो दलित समुदाय से हैं इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही उन्होने आगे बताया कि उनके कार से आने, बाल खुले रखने और चश्मा पहनने से कुछ लोगों को बहुत दिक्कत है।


कांग्रेस नेता शशि थरूर मोदी सरकार की विदेश नीति से खुश


कांग्रेस प्रवक्ता टीवी चैनलों पर यूक्रेन से भारतीयों की वापसी के मुद्दे पर सरकार की असफलता गिनाते नहीं थक रहे लेकिन पार्टी सांसद शशि थरूर सरकार की विदेश नीति से गदगद हैं। उन्होंने विदेश मंत्री और उनकी टीम की जमकर तारीफ की है। थरूर ने विदेश मंत्रालय की तरफ से बुलाई गई मीटिंग में शामिल होने के बाद कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनकी टीम ने एक-एक सवाल का जिस गहराई से जवाब दिया है, वह बेहद प्रशंसनीय है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि विदेश नीति तो ऐसी ही होनी चाहिए। इस मीटिंग में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे।

विदेश मंत्रालय ने रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए संकट पर गुरुवार को सलाहकार समिति की बैठक बुलाई। बैठक में छह राजनीतिक दलों के नौ सांसदों ने हिस्सा लिया। इन सभी ने मौजूदा संकट से निपटने के लिए सुझाव तो दिए ही, एक-से-बढ़कर एक सवाल भी दागे जिनका विदेश मंत्रालय ने विस्तृत जवाब दिया। इससे शशि थरूर इतने संतुष्ट हुए कि उन्होंने विदेश मंत्री की तारीफों के पुल बांध दिए।

थरूर ने ट्वीट कर कहा, 'यूक्रेन पर विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की आज सुबह बुलाई गई बैठक जबर्दस्त रही। हमारे सवालों और चिंताओं पर विस्तृत और बिल्कुल सटीक जवाबों के लिए डॉ. एस जयशंकर और उनके सहयोगियों का धन्यवाद।' थरूर ने मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ में कसीदे पढ़ डाले। उन्होंने लिखा, विदेश नीति में यही जोश-ओ-खरोश दिखनी चाहिए। हमने कई बिंदुओं पर बातचीत की। विदेश मंत्री इसकी जानकारी देगा। यह शानदार मीटिंग थी। हम सभी एकजुट हैं।

थरूर ने कहा कि बैठक में शामिल सांसदों ने विदेश मंत्रालय से ही बयान जारी करने का आग्रह किया है। उन्होंने लिखा, 'मैंने मीडिया के आग्रह पर कोई टिप्पणी नहीं की क्योंकि यह गुप्त बैठक थी। हालांकि, हमने विदेश मंत्रालय से रटा-रटाया नहीं, विस्तृत बयान जारी करने की अपील की है। मीटिंग बेहत रचनात्मक भावना से संचालित हुई और सभी दलों ने हमारे नागरिकों की सुरक्षित घर वापसी के मुद्दे पर एकजुटता का इजहार किया।' सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने मीटिंग में चीन और पाकिस्तान के रूस के करीब आने का मुद्दा उठाया, फिर कहा कि प्राथमिकता अभी यूक्रेन से छात्रों को निकालना है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हमें प्रतिक्रिया में देर हुई और एडवाइजरी भ्रमित कर रही थीं।

वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मौजूदा हालात पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र अपने को लेकर उधेड़बुन में थे, लेकिन यूक्रेन सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया। सूत्रों ने बताया कि जयशंकर ने मीटिंग में भारतीयों की घर वापसी और ताजा हालात पर प्रजेंटेशन दिया। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सांसदों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहने की नीति का समर्थन किया। थरूर ने कहा कि जब भी राष्ट्रीय हितों की बात होती है तो भारत सर्वप्रथम की नीति पर पक्ष-विपक्ष एकजुट हो जाते हैं। वहीं, विदेश मंत्री ने भी मीटिंग पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बैठक में मुद्दे के सामरिक और मानवीय पहलुओं पर अच्छी चर्चा हुई।

शाकाहारी और मांसाहारी फूड आइटम्स पर दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश


दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने  अपने एक फैसले में बुधवार को कहा कि किसी खाद्य पदार्थ (Food Item) के शाकाहारी (Vegetarian) या मांसाहारी (Non-Vegetarian) होने का पूरी तरह खुलासा होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि थाली में परोसी जाने वाली वस्तु से हर व्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं.

इसी के साथ हाईकोर्ट (High Court) ने बुधवार को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को निर्देश दिया कि वह एक खाद्य पदार्थ की सामग्री पर स्पष्ट खुलासा करने के दायित्व पर सभी संबंधित अधिकारियों को नया आदेश जारी कर अवगत कराए

बता दें कि न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति डी के शर्मा की पीठ ने जनता द्वारा उपयोग की जाने वाली "सभी वस्तुओं" को शाकाहारी या मांसाहारी और " मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं" के रूप में लेबल करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया.अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील से सहमति जताई कि आम लोगों की बजाय सिर्फ अधिकारियों को इस तरह का संचार जारी करना व्यर्थ है, क्योंकि इससे आम जनता के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के मुताबिक थाली में क्या परोसा गया है इससे " अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 25 (विवेक की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पेशे, अभ्यास और धर्म का प्रचार) के तहत प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं. अदालत ने आगे कहा कि  खाद्य पदार्थ के शाकाहारी या मांसाहारी होने के बारे में एक पूर्ण और पूर्ण प्रकटीकरण को उपभोक्ता जागरूकता का एक हिस्सा बनाया जाना जरूरी है. ” अदालत ने कहा, किसी भी पैक्ड खाद्य पदार्थ शाकाहारी या मांसाहारी होने का पूर्ण खुलासा करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने में अगर प्राधिकरण विफल रहता है तो इससे FSSAI के गठन का उद्देश्य भी हासिल नहीं हो सकेगा.

बता दें कि बेंच गायों के कल्याण के लिए काम करने वाले ट्रस्ट राम गौ रक्षा दल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका के अनुसार, एफएसएसएआई द्वारा 22 दिसंबर, 2021 का एक संचार अभी भी बहुत अस्पष्ट है. इस याचिका पर कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख 21 मई तय की गई है.

क्या हिन्दूराष्ट्र की स्थापना 6 दिसम्बर 1992 में हो चुकी है


गुलामी का प्रतीक कहा जाने वाला अयोध्या का श्रीराम मंदिर का पुराना ढांचा 06 दिसम्बर 1996 को गिर गया। इसलिए हिन्दू देवता के मंदिर की मुक्ति के बाद अब हिन्दू राष्ट्र के लिए कोई संघर्ष बाकी नहीं है।

उक्त विचार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जय शिव सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी ने अखाड़ा गुरु पंथ त्रिशूल भगवान यात्रा के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि अब केवल हिन्दू राष्ट्र के ढांचे को मजबूत करते हुए भारत के नियम, विधान और संविधान में केवल कुछ संशोधन करना बाकी रह गया है। जो अब धीरे धीरे हो रहा है। जय शिव सेना भारत की पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान की शोभा यात्रा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी के नेतृत्व में भव्य रूप से निकाली गई।

केंद्रीय यात्रा संयोजक विशाल साहनी ने बताया कि पूज्य पाद वेद रक्षित धर्मगुरु त्रिशूल भगवान (अखाड़ा गुरु पंथ) की यात्राएं करेली, सदियापुर, हर्षवर्धन नगर, मीरापुर, अतरसुइया, लाल डिग्गी होते हुए बाबा दर्वेश्वरनाथ मंदिर से त्रिशूल भगवान और बाबा दरवेश्वरनाथ की पूजा भोग आरती के पश्चात नकाशकोना पहुंची। जहां मुट्ठीगंज एवं गढ़ीकला की यात्राएं एकत्रित हुई। इसके उपरांत सभी यात्राएं हिम्मतगंज होते हुए खुल्दाबाद गुरुद्वारा, गाड़ीवान टोला, स्टेशन रोड होते हुए जानसेनगंज, घंटाघर, लोकनाथ, रामभवन, मुट्ठीगंज, आर्य कन्या कॉलेज, चंद्रलोक चौराहा, जीरो रोड, घंटाघर, कोतवाली स्थित कोतवालेश्वर बाबा मंदिर में पूजा आरती की गई।

तत्पश्चात् सम्पूर्ण यात्रा यहां से चल कर माता कल्याणी देवी मंदिर पहुंची। मंदिर में सभी यात्रा संयोजकों द्वारा माताजी की आरती एवं मंदिर के पीठाधीश्वर द्वारा त्रिशूल भगवान की पूजा आरती एवं प्रसाद वितरण कर यात्रा का समापन हुआ। यात्रा में दर्जनों रथ, झांकियां, बैंड बाजा, घोड़े एवं ध्वज पताकाएं यात्रा को सुशोभित कर रही थीं।

यात्रा में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकारनाथ त्रिपाठी, महामंत्री राजेश केसरवानी, प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अभिषेक सिंह, विशाल साहनी, बब्बन सिंह, सुधीर गेठे, दुर्गेश नंदिनी, बिरजू सोनकर, बादल केसरवानी, मोनू सेठ, अभिलाष केसरवानी तथा अनुज अग्रवाल ने यात्रा व्यवस्था का दायित्व संभाला। दिगंबर त्रिपाठी, राजीव बंटी, अवनीश शुक्ला, राजेश केसरवानी, संतोष अग्रहरी, आनंदजी टंडन, अनूप केसरवानी नेयात्रा मार्ग में मंचीय व्यवस्था संभाला।

गुलाम नबी आजाद के भतीजे मुबाशिर आजाद भाजपा में शामिल हुए


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के भतीजे मुबाशिर आजाद रविवार, २७ फ़रवरी, २०२२ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जमीनी स्तर पर किए गए विकास कार्यों से प्रभावित हैं। गुलाम नबी आजाद के सबसे छोटे भाई लियाकत अली के बेटे मुबाशिर आजाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनके चाचा का ''अपमान'' किया, जिससे उन्हें दुख हुआ और उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया।

हालांकि, मुबाशिर ने यह भी कहा कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने की योजना को लेकर अपने चाचा के साथ चर्चा नहीं की।

मुबाशिर आजाद और उनके समर्थकों का भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना और पूर्व विधायक दलीप सिंह परिहार सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में स्वागत किया। रैना ने इन लोगों के भाजपा में शामिल होने को एक ''निर्णायक मोड़'' बताया, जो चिनाब घाटी क्षेत्र के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के युवा कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा, 'भाजपा विपक्षी दलों के राजनीतिक नेताओं, हिंदू, मुस्लिम, गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी सभी समुदायों के सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने साथ लाकर तेजी से आगे बढ़ रही है।'

अप्रैल २००९ में आजाद के भाई गुलाम अली भी भाजपा में शामिल हुए थे। मुबाशिर आजाद ने कहा, '(कांग्रेस) पार्टी अंदरूनी कलह में उलझी हुई है... जबकि मोदी के नेतृत्व में जमीन पर लोगों के कल्याण का काम हो रहा है।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पार्टी के करिश्माई नेताओं में शुमार पूर्व मुख्यमंत्री (गुलाम नबी) आजाद के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, उससे आम जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

मुबाशिर ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए उनकी प्रशंसा की, लेकिन पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया।' गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं के समूह में शामिल थे, जिसने अगस्त २०२० में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक सुधारों की मांग की थी।

निजी वाहन चालकों को अब नहीं देना होगा टोल टैक्स


निजी वाहन चालकों को बड़ी राहत देने का फैसला सरकार ने किया है. मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में निजी
वाहनों के लिए टोल टैक्स माफ करने का फैसला किया है और अब एमपी में सिर्फ कमर्शियल वाहनों से ही टोल वसूला जाएगा. इस फैसले के बाद अब निजी वाहन चालक बिना टोल चुकाए बूथ से आगे बढ़ सकेंगे. राज्य सरकार ने टेल टैक्स से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव के बाद ये फैसला सुनाया है. माना जा रहा है कि बीजेपी सरकार ने राज्य में आगामी चुनावों को देखते हुए जनता को ये फायदा पहुंचाया है.

ऐसे सभी वाहन जिनका इस्तेमाल बतौर कमर्शियल वाहन नहीं होता है, वो टोल टैक्स में रिवायत के दायरे में आते हैं. राज्य के सड़क विकास निगम द्वारा हाल में इस नीति में बदलाव किया है और ऑपरेट एंड ट्रांसफर के तहत बनाई गई सभी सड़कों पर अब टोल नहीं लगेगा. बिल्ड ऑपरेट एंड ट्रांसपोर्ट नीति के तहत एजेंसियां सड़क बनाती हैं और इसके लिए टोल वसूलती हैं. इसके अलावा प्रदेश सरकार इन एजेंसियों को आसान किश्तों में सड़क निर्माण की रकम चुकाती है. सरकार इन दोनों तरहों की सड़कों पर निजी वाहन चालकों से टैक्स नहीं वसूलेगी.

मध्य प्रदेश सरकार ने इस पॉलिसी में बदलाव से पहले राज्य की 200 सड़कों का सर्वे PWD यानी लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया था. सर्वे में सामने आया है कि कुल टोल टैक्सा का 80 प्रतिशत सिर्फ कमर्शियल वाहनों से आता है, ऐसे में निजी वाहनों का योगदान सिर्फ 20 फीसदी ही है. इस राशि और इसे माफ करने पर जनता को होने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये फैसला सुनाया है. इस फैसले से पहले PWD ने एक प्रस्ताव तैयार किया था जिसमें निजी वाहनों का टोल टैक्स माफ करने की पूरी जानकारी मुख्यमंत्री के सामने पेश की गई.

यूक्रेन के खिलाफ सैन्य हमले रोकने के लिए रूस पर दबाव बनाएं भारत : इंद्रेश कुमार


आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं करता है। बल्कि केवल को मानवता को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने दुनियाभर के नेताओं, राजनयिकों और नागरिक समाज से अपील की कि वे पुतिन को बातचीत के माध्यम से मुद्दों का हल करने के लिए राजी करें।

इंद्रेश कुमार ने कहा 'भारत सहित दुनिया के सभी देशों की सरकारों, राजनेताओं, राजनयिकों, रक्षा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और नागरिक समाज को एक साथ आना चाहिए और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर युद्ध को तुरंत रोकने और बातचीत के रास्ते पर चलने का दबाव बनाना चाहिए।' उन्होंने कहा, भारत शांति चाहता है। ऐसी कोई स्थिति नहीं होनी चाहिए जिससे युद्ध बढ़े। युद्ध की भयावहता बेहद दर्दनाक और असहनीय है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने केंद्र सरकार से अपील की है को वो यूक्रेन के खिलाफ सैन्य हमलों को रोकने के लिए रूस पर दबाव बनाए। आरएसएस ने कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं करता है बल्कि मानवता को नुकसान पहुंचाता है। रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर अटैक कर दिया। युद्ध का आज दूसरा दिन है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के काफी नजदीक पहुंच गई है।

कुमार, जो राष्ट्रीय मुस्लिम मंच और राष्ट्रीय ईसाई मंच के संस्थापक और मुख्य संरक्षक हैं, ने भी मुस्लिम और ईसाई नेताओं से अपील की कि वे रूस को शांति, सद्भाव और भाईचारे के रास्ते पर चलने की सलाह दें। उन्होंने कहा, 'युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। युद्ध में बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों की जान जाती है, लाखों लोग बेघर हो जाते हैं और हजारों करोड़ का नुकसान होता है।

पहली बार पाकिस्तानी सेना में तैनात हिन्दुओं को मिला प्रमोशन


पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) में दो हिंदू अधिकारियों (Hindu Officers) का प्रमोशन करते हुए उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल बना दिया गया है. यह पहली बार है जब हिंदू अफसरों को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. मेजर डॉ. कैलाश कुमार और मेजर डॉ. अनिल कुमार को पदोन्नत कर लेफ्टिनेंट कर्नल बनाया गया है. पाकिस्तानी सेना के प्रोन्नति बोर्ड ने उनकी पदोन्नति को
मंजूरी दी है.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, सिंध प्रांत के तारपारकार जिले के कैलाश कुमार 2019 में हिंदू समुदाय से देश के पहले मेजर बने थे. वह 1981 में पैदा हुए थे और लियाकत विश्वविद्यालय से एमबीबीएस करने के बाद 2008 में कैप्टन के रूप में सेना में शामिल हुए. वहीं, अनिल कुमार कैलाश कुमार से एक साल छोटे हैं. वह भी सिंध प्रात के बादिन के रहने वाले हैं. वह 2007 में सेना में भर्ती हुए थे.

सरकारी पाकिस्तान टेलीविजन ने गुरुवार को कैलाश कुमार की प्रोन्नति के बारे में ट्वीट किया. पीटीवी ने लिखा, ‘कुमार लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में पदोन्नत होने वाले पहले हिंदू अधिकारी हैं’. इस खबर पर पाकिस्तान में हिंदुओं के अधिकार के लिए अभियान चलाने वाले कपिल देव ने लिखा कि कैलाश कुमार को लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में प्रोन्नत करने से इतिहास रच गया है. हालांकि इन प्रोन्नतियों के बारे में अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

पाकिस्तान से अल्पसंख्यक खासकर हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें अक्सर सुनने में आती रहती हैं. कई बार हिंदू मंदिरों पर भी हमले हो चुके हैं. प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर दावे करते रहे हैं, लेकिन हकीकत ये है कि कट्टरपंथियों के आगे उसकी सरकार बेबस है. हिंदू-इसाई परिवारों की लड़कियों को अगवा करके जबरन धर्म परिवर्तन और फिर शादी पाकिस्तान में आम हो गई है.

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